Saturday, May 24, 2008
दरीन्दे
तुम अगर हीन्दो हो तो मैं तुम्हारा भाई हूँ
तुम अगर मुस्लमान हो तो मैं तुम्हारा दुश्मन नहीं हूँ
तुम अपने परमात्मा की इबादत
इसी लीए करते हो की उसने तुम्हें जीनदगी दी है
तुम कौन होते हो मुझ से मेरी जीनदगी छीनने वाले
फीर भी तुम अगर यही करना चाहते हो
तो ऐलान करो की तुम हीन्दू नहीं हो
तुम मुसलमान नहीं हो
और कहो, की तुम दरींदे हो
और दरींदे को इसका हक हासील है की
वोह कीसी भी जानदार से उसकी जीनदगी छीन ले।
(अनवर नदीम)
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